Wednesday, February 5, 2020

वर्षात और विश्वास

विश्वास उस मयूर को कि
उसके नाचने पर
बरसना होगा बादलों को। 

विश्वास उस चिड़िया को कि
उसके बालू में नहाने पर
आना होगा वर्षात को। 

विश्वास उस सारस को कि
उसके गोलाकार घूमने पर 
आना होगा बारिश को। 

विश्वास उस चातक को कि
उसकी आवाज सुन कर 
आना होगा मानसून को। 

विश्वास उस मेंढक को कि
उसके टर्राने को सुन कर 
गर्जना होगा बादलों को।

विश्वास उस चील को कि
उसके ऊंचा उड़ने पर
बरसना होगा पानी को।

विश्वास उस बिल्ली को कि
उसके भूमि खोदने पर
आना होगा पावस को।

विश्वास उस सीप को कि 
स्वाति नक्षत्र पर 
आना होगा वृष्टि को। 

( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )



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