शान्तम् सुखाय
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Friday, January 6, 2012
ताजमहल
मैंने भावुक मन से कहा -
काश ! मै भी तुम्हारे लिए
एक ताजमहल बनवाता
पत्नि ने गंभीर हो कर कहा-
कागज़ की संगमरमरी देह पर
मेरे लिए लिखी तुम्हारी कवितायेँ
सौ ताजमहलों से भी
बढ़ कर खूबसूरत हैं।
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
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