Friday, June 28, 2019

तुम हो मेरे जीवन साथी

तुम हो मेरे जीवन साथी 
साथ - साथ चलते रहना,
अगर कहीं मैं थक जाऊं 
हाथ पकड़ बढ़ते रहना। 

मैं हूँ नादां समझ नहीं है 
तुम  थोड़ा  समझा देना, 
अगर कहीं मैं भूल करूँ 
तुम अनदेखी कर देना। 

जैसे चन्दन में सुगंध बसे 
मेरे जीवन में तुम बसना, 
कभी न छूटे साथ हमारा 
स्वप्न सलोने बुनते रहना। 

एक ही मंजिल है दोनों की 
मुश्किल में हिम्मत रखना,
प्यार भरा रिश्ता है अपना
जीवन भर साथ निभा देना। 


( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। ) 






Monday, June 24, 2019

थोड़ी मृत्यु मुझे भी आई है,

सूर्य का प्रकाश
कमरे से लौट रहा है
शाम का धुंधलका
अपने पांव पसार रहा है

मैं अकेला कमरे में
लौट आया हूँ
तुम्हारे संग बिताए
लम्हों को ढूंढ रहा हूँ

तुम्हें याद करते ही
आँखों से अश्रु छलक आते हैं
तुम्हारी एक झलक पाने को
मेरे नयन तरस जाते हैं

तुम्हारी यादों की नदी
मेरे अंदर बहुत गहरी बहती है
मधुर स्मृतियों की लहरें
मेरे विरह के घावों को
सहलाती रहती है

मैं तुम्हारी यादों के छोरों को
अपने संग जोड़ता रहता हूँ
रात के सन्नाटे में
टुकड़े - टुकड़े सोता हूँ

मेरी जिंदगी की सारी खुशियां
तुम्हारे संग चली गई
तुम्हारी मृत्यु के साथ
थोड़ी मृत्यु मुझे भी आई है।



( यह कविता "कुछ अनकही। ....... "नामक पुस्तक में प्रकाशित हो गई है।  )

Saturday, June 22, 2019

ढलते मौसम के साथ

काश!
तुम मिलो फिर से
किसी राह पर
किसी मोड़ के बाद

हो सके तो चलो
फिर से एक बार
मेरे साथ जिंदगी के
बचे सफर में

मौसम को देख
कुछ आशाएं
कुछ इच्छाएं
उठती है मेरे दिल में

जैसे ठूँठ में
फूटती है कोंपले
बदलते मौसम के साथ।

 

( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )