तुम्हारी यादें
गाहे-बगाहे आकर
घेर लेती है मुझे
बिना दस्तक दिए
चली आती है मेरे साथ।
धुँधली पड़ती बातें
फिर से हो जाती है ताजा
चलचित्र की तरह
चलती रहती है मेरे साथ।
बाँधे हुई है आज भी
तुम्हें मुझ से
एहसास कराती रहती
सदा तुम्हारा साथ।
बिना किसी तस्वीर के
कराती रहती है
खूबसूरत मुलाकातें
नहीं छोड़ती साथ।