Friday, March 29, 2024

तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादें 
गाहे-बगाहे आकर 
घेर लेती है मुझे
बिना दस्तक दिए 
चली आती है मेरे साथ। 

धुँधली पड़ती बातें 
फिर से हो जाती है ताजा 
चलचित्र की तरह
चलती रहती है मेरे साथ। 

बाँधे हुई है आज भी 
तुम्हें मुझ से
एहसास कराती रहती  
सदा तुम्हारा साथ। 

बिना किसी तस्वीर के
कराती रहती है  
खूबसूरत मुलाकातें 
नहीं छोड़ती साथ। 

Saturday, March 23, 2024

ग़ज़ल

क्यों उदासी को गले लगाते हैं 
मधुर यादें ताजा कर लीजिए। 

क्यों मन को विचलित करते हैं 
ताज़ी हवा में योग कर लीजिए। 

क्यों नफरत की बातें सुनते हैं 
मीठी बातों को संजो लीजिए। 

क्यों ग़मों के दर्द से घबराते हैं 
मस्ती की चादर ओढ़ लीजिए। 

क्यों जीवन में तनहा चलते हैं 
प्यारा हमसफ़र बना लीजिए। 


Saturday, March 16, 2024

मिलन का मौसम

नीली आँखों का स्नेह याद आ रहा है
आरजू का मौसम अभी गया नहीं है।  

सांसों का टकराना याद आ रहा है
बहार का मौसम अभी गया नहीं है। 

मधु अधरों की हँसी याद आ रही है
प्रणय का मौसम अभी गया नहीं है। 

वाणी की मधुरता याद आ रही है
प्यार का मौसम अभी गया नहीं है।   

दिल की धड़कन अभी चल रही है
मिलन का मौसम अभी गया नहीं है।  


   


Tuesday, March 12, 2024

पाहुन

चलो आज गांव चलते हैं 
मैं ले चलूँगा तुहें 
अपने दोस्त के 
खेत की ढाणी में 
जहाँ मेरे दोस्त की बहु 
खिलायेगी तुम्हें खाना 
पीतल की थाली में परोसेगी 
बाजारी की रोटी और 
काचर फली का साग 
एक कोरा प्याज और 
लहसुन की चटनी 
लोटा भर पानी रखेगी साथ में 
फिर घूंघट की आड़ में 
करेगी तुम से बातें 
खुश हो जाएगा 
मेरा दोस्त 
कि आज उसके घर 
पाहुन आये हैं। 

Saturday, March 9, 2024

ग़ज़ल

 जब से तुम बिछुड़ी हो मेरे जिंदगी से 
मेरी मंजिल का कोई ठौर ही नहीं रहा।

जब से हम दोनों की राहें अलग हुई  
मेरे जीवन में तो मधुमास ही नहीं रहा।  

मैं तो सदा राहों में आँखें बिछाता रहा 
तुम्हें तो राहों में चलना पसंद ही नहीं रहा। 

मैं तो सदा तुम्हारी आँखों में देखता रहा  
मुझे आईना में कभी विश्वाश ही नहीं रहा। 

कहते हैं शहरों में सब कुछ मिलता है    
मगर तुम्हारे जैसा प्यार तो कहीं नहीं रहा।   

Thursday, February 29, 2024

पिता की व्यथा

बेटे का भविष्य संवारने 
बाप सब कुछ करता है, 
जलती धूप ओढ़कर भी 
बेटे को छाया करता है। 

दिन-रात मेहनत करके 
बेटे का पालन करता है,
अपने सुख को भूल कर 
बेटे को खुशियां देता है। 

बेटे को पढ़ा-लिखा कर 
उसको योग्य बनाता है,
घर, जमीन, जायदाद 
सब बेटे को दे देता है। 

मगर बेटा बाप बनते ही 
बाप को भूल जाता है,
अपने कड़वे बोलो से 
बाप को आहत करता है। 

लाचार बाप बेबस होकर 
अपना भाग्य कोसता है, 
बेटे के जुबान खंजर से 
आँखों से अश्रु बहाता है।