Sunday, May 31, 2020

घर से बाहर नहीं निकलना

ना तुमको ऑफिस जाना है
ना मुझ को  जल्दी उठना है
दोनों मिल कर  काम करेंगे
अब  घर में ही तो  रहना है।

तुम उठ करके चाय बनाना
चाय  बना कर मुझे उठाना
मैं जब पुजा - पाठ करूंगी
झाड़ू - पौंछा तुम कर लेना।

नल से तुम  पानी भर लेना
कपड़े  सारे  फिर धो लेना
मैं दोपहर में  जब सोऊंगी
चौका-बर्तन तब कर लेना।

मुझको जूस बना कर देना
तुम  थोड़ा  काढ़ा  पी लेना
कैसे लगता दाल में तड़का
इसकी ट्रेनिंग मुझ से लेना।

संयम से  अब घर में रहना
सभी काम हिलमिल करना
कोरोना का  खतरा बड़ा है
घर से बाहर नहीं निकलना।

( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )




Monday, May 18, 2020

प्रवासी मजदूरों का पलायन

लॉकडाउन के चलते
मजदूर बेघर हो रहा,
कोरोना और बेरोजगारी
दोनों की मार से मर रहा।
सैंकड़ों मील पैदल चल अपने घर लौट रहा, कोरोना त्रासदी का दर्द उसके चेहरे से झलक रहा। घर वापसी का सफर मौत का सफर बन रहा, सड़कों पर जगह-जगह हादसों का शिकार हो रहा। सरकार पर्याप्त मात्रा में गाड़ियां नहीं दे पा रही, पैदल यात्रा करने वालों पर पुलिस लाठियाँ बरसा रही।
देश के निर्माणकर्ताओं की
आज किसी को चिंता नहीं,
सैंकड़ों घर बनाने वालों का
आज अपना कोई घर नहीं।


( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )

Monday, May 11, 2020

मेरी कलम भी थर्राई है

कोरोना वायरस
दुनियाँ में कोहराम मचा रहा है, 
विज्ञान वैक्सीन नहीं खोज पा रहा है,
चीन की गलती की सजा संसार भुगत रहा है,
मानवता आज सहम कर, मज़बूरी पर घबराई है।

पुरे विश्व में
महासंक्रमण फ़ैल रहा है,
जैविक युद्ध का खतरा बढ़ रहा है,
चारों तरफ तबाही का मंजर दिख रहा है,
सारी दुनियाँ घरों में बंद, विकट स्थिति आई है।

हर इंसान बेबस
और लाचार हो रहा है,
कोविद -19 तहलका मचा रहा है,
मानव का गुमान धराशाई हो रहा है,
प्रकृति के ऊपर कोई नहीं, यह भी सच्चाई है।

कोविद महामारी ने 
दुनियाँ का चैन छीन लिया है,
हर देश मेंआज कहर बरपा रहा है, 
देश-विदेश में लाशों का अम्बार लग रहा है,
ऐसा भयावह नजारा देख, मेरी कलम भी थर्राई है।



( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )


Sunday, May 3, 2020

कोरोना वायरस ( महामारी )

कोरोना से बचना है तो
इन बातो का ध्यान करो
फिर न मिलेगा यह जीवन
जीवन से तुम प्यार करो।

रोज करो  तुलसी का सेवन
नीम गिलोय का पान करो
हल्दी,अदरक और संतरे
इन सब का सेवन करो।

हेल्दी भोजन खा कर के
इम्युनिटी को मजबूत करो
जंक फ़ूड को खाना छोड़ो
प्रतिदिन प्राणायाम करो।

धुप-दीप, अगरबत्ती जला
घर से वायरस दूर करो
हाथ जोड़ कर करो नमस्ते
हाथ मिलाना बंद करो।

चेहरों पर तुम मास्क लगाओ
सेनेटाईज़र का प्रयोग करो
साबुन लगा हाथो को धोवो
दो गज दुरी का पालन करो।

डॉक्टर, नर्स और कर्मचारी
इन सब का सम्मान करो
लॉकडाउन के नियमों का
सब मिल कर पालन करो।

कुछ समय की बात है
थोड़ा धैर्य धारण करो
घबरा कर नहीं हिम्मत से
नई सुबह का स्वागत करो।


( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )




Friday, May 1, 2020

बताओ क्या करूँ ?

तुम मुझे अकेला छोड़, बिना कहे चली गई
मेरा जीवन वीरान हो गया, बताओ क्या करूँ ?
                                 
                                     रातों में तन्हा बैठा, तुम्हारी बातें याद करता हूँ 
                                     उजड़ गया ख्वाबों का चमन, बताओ क्या करूँ ?
                                      
तुम्हारी बातें, तुम्हारे हंसी, सभी याद आती है
दिल से नहीं निकलती यादें, बताओ क्या करूँ ?

                                               तुम्हारी यादों का झोंका, जकड लेता है मुझे 
नम हो जाती है मेरी आँखें, बताओ क्या करूँ ? 

तुम्हारी यादें जगाती है, तुमसे मिलने की प्यास
कैसे कटेगी मेरी यह जिंदगी, बताओ क्या करूँ ?

                                         अब कैसे बुझाऊँ तुम्हारी, बिछोह की आग को
                                          नहीं लिखा किसी किताब में, बताओ क्या करूँ ?          




( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )