Saturday, October 15, 2022

छपने के लिए भेजें

मैंने समाचार पत्र में
एक कविता भेजी 
सधन्यवाद के साथ -
संपादक महोदय ने लिखा-
आप की कविता प्रकाशन 
योग्य नहीं। 

भेजना हो तो चटपटा 
समाचार लिख कर भेजें। 
सनसनी खोज खबर भेजें
जो सुबह चाय के साथ 
गरम मसाले का काम करे। 
आज कल कविताएं पढ़ता कौन है? 

आप लिखेंगे देश प्रेम पर 
देश की ख़ुशहाली पर 
वीर रस, भक्ति रस या 
श्रृंगार रस पर। 
इन सबसे समाचार नहीं बनते। 
छपने के लिए सनसनी फैलाएं।
मसलन 
पेड़ पर लटकता शव
टुकड़ों में कटी लाश 
बम धमाके से मरा व्यक्ति  
ऐसी घंटनाएं ढूंढे 
इन्हें सनसनीखेज बना 
छपने के लिए भेजें। 

बेटे ने की पिता की हत्या 
दहेज़ के लिए बहू की हत्या 
नाबालिका की रेप के बाद हत्या 
ऐसी घटनाएं खोजें  
इन्हें दर्दनाक बना 
छपने के लिए भेजें। 

गायों की तस्करी
मादक पदार्थों की जब्ती 
आतंकियों की गिरफ्तारी 
ऐसी जासूसी खबरें खोजें 
इन्हें रहस्यमय बना कर 
छपने के लिए भेजें। 

पूजा स्थलों में तोड़-फोड़ 
दो साम्प्रदायों में लड़ाई 
विस्फोटक बरामद 
ऐसी ख़बरों को खोजें 
नमक मिर्च लगा कर 
छपने के लिए भेजें। 

समाचार बनाने वालों का 
पीछा करते रहें 
नहीं मिले तो उनकी तलाश करें 
उन्हें उकसाएं 
जैसे ही कोई खबर बने 
छपने के लिए तत्काल भेजें। 

कविता को अभी विराम दें 
पहले थोड़ी नफरत बांट दें। 





इस देश को अब फिर से, विश्व गुरु बनाओ।

अहंकार को त्याग कर, भक्ति  भाव जगाओ।
मर्यादा को अपना कर, मानव -धर्म निभाओ। 
स्वार्थ-भाव को दूर कर, जन सेवा अपनाओ। 
युवाओं को राह दिखा कर, राष्ट्रभक्त बनाओ। 
इस देश को अब फिर से, विश्व गुरु बनाओ। 

लोभ-लालच दूर कर, देश को समर्थ बनाओ।
क्लेश -कटुता दूर कर, स्वदेशी भाव जगाओ।   
उत्साह संग आगे बढ़, देश का मान बढ़ाओ।
सर्वे भवन्तु सुखिनः संग, सबको सुखी बनाओ। 
इस देश को अब फिर से,  विश्व गुरु बनाओ। 
 
भोगवाद को दूर कर,सदाचार को अपनाओ।          
आत्म निर्भरता प्राप्त कर,सम्पन देश बनाओ। 
अनुशासन का पालन कर,आगे बढ़ते जाओ। 
वसुधा कुटुम्बकम कह, सबको गले लगाओ।          
इस देश को अब  फिर से, विश्व गुरु बनाओ। 

भेद - भाव को दूर कर, शिक्षा दीप जलाओ।                          
मोह-वासना त्याग कर, नैतिकता अपनाओ। 
सेवा में समरस होकर, परहित भाव जगाओ।
सभी सुखी हो सभी निरोगी,ऐसा देश बनाओ। 
इस देश को अब फिर से, विश्व गुरु बनाओ।