Monday, September 27, 2021

टीका लगा कोरोना को दूर भगाना है

दीवाली पर उम्मीदों के पंख लगाना है, 
थके हुए  कदमों की पीड़ा को हरना है,  
आशा की किरणों को मुट्ठी में भरना है, 
हर पनीली आँखों  में स्वपन सजाना है, 
टीका  लगा कोरोना को दूर  भगाना है। 

हर घर खुशियों के अब दीप जलाना है,
सारे कष्टों को भूल अब जोश जगाना है,
निराशा के अन्धकार से बाहर आना है,
हर दिल में आशा की किरण जगाना है,
टीका  लगा कोरोना  को दूर भगाना है। 

चिंता और दुःखों से अब मुक्ति पाना है,
मिलने-मिलाने के दिन फिर से लाना हैं, 
बाधाओं की दीवारों को आज तोड़ना है, 
जीवन में बहारों को  फिर से सजाना है,
टीका  लगा  कोरोना  को दूर भगाना है। 


Saturday, September 25, 2021

मस्त रहो खाओ-पीओ मत करो तुम फ़िकर

मस्त रहो खाओ-पीओ मत करो तुम फ़िकर,
नाचते - गाते हुए पूरा करो जीवन का सफर,
कौन साथ लेकर आया कौन साथ ले जाएगा,
साथ तुम्हारे जाएगा वो भलाई का काम कर। 

स्वार्थ भरी सारी  दुनिया देखलो चाहे जिधर,
बेटा  भी नहीं  बात  करता पास में बैठ कर,
एक दिन चले जाओगे सभी कुछ छोड़ यहाँ,
सबकी झोली भर चलो अपने हाथों बाँट कर। 

जो संसार का नियंता उस प्रभु को कर नमन,
उसकी भृकुटि मात्र से होता यहाँ आवागमन,
कोई भी कर्म करो उससे नहीं छिपा सकोगे,
वह है सर्व काल द्रष्टा वह सभी का प्राण धन। 

चन्द्रमा क्यों मंगल ग्रह सबको ले जा साथ में ,
जिन्दगी का एक भी पल नहीं तुम्हारे हाथ में, 
ओस के कण की तरह यह जिंदगी है हमारी, 
अन्त में जाना नहीं है कुछ भी हमारे साथ में। 



Tuesday, September 21, 2021

तुम थी मेरी रजनीगंधा

स्पर्श तुम्हारा प्यारा होता  
मधु स्वर कानों में कहती,
मेरा  सिर  गोदी  में रहता 
बालों  को  तुम  सहलाती,
तुम  थी  मेरी  रजनीगंधा। 

भावों  में मैं डूबा  रहता 
मस्ती  सांसों  में   रहती, 
मेरे  मन  की  बातों  को 
नयनों  से  तुम पढ़ लेती,
तुम थी मेरी  रजनीगंधा। 

घर आँगन की थी शोभा 
नूपुर  सी  बजती  रहती,
तुम से मेल युगों का मेरा  
स्मृतियों  में  तुम  रहती,  
तुम थी मेरी  रजनीगंधा। 

ग्रीष्म में  शीतल छाया
घोर शीत  में गर्मी देती, 
महकाई जीवन की रातें
साँसों में  खुशबू भरती,
तुम थी मेरी रजनीगंधा। 
 

Friday, September 10, 2021

तन्हाई भरी जिंदगी हमारी है

कल तक तो बातें हमारी होती थी 
अब तो बातें केवल तुम्हारी है। 

महसूस करता हूँ हर पल मैं तुम्हें 
मेरे संग परछाई तुम्हारी है। 

कटता है हर पल सदियों के बराबर 
मेरे दिल में आज भी यादें तुम्हारी है। 

तुम्हारे जाने के बाद मैंने हर घड़ी 
तुम्हारी यादों के संग गुजारी है। 

मौत सच्चाई है एक दिन सभी को आनी है 
मुझे हर रोज मारती जुदाई तुम्हारी है। 

गिर पड़ते आँखों से आँसू कागज़ पर 
टूटे दिल की दुःख भरी शायरी है। 

धड़कने अब पहले जैसी नहीं धड़कती 
जीवन का सफर तो फिर भी जारी है। 

दिल का दर्द सुनाएं तो किसको सुनाएं 
तन्हाई भरी जिंदगी अब हमारी है। 



Friday, September 3, 2021

शहर

खेत बिक रहें है इमारते बन रही हैं यहाँ 
अँधी रफ़्तार से भागता जा रहा है शहर। 

चकाचौंध भरी जिन्दगी लुभाती है यहाँ 
युवाओं को सब्जबाग़ दिखाता है शहर। 

इन्शान-इन्शान को नहीं पहचानता यहाँ 
स्वार्थ के जाल में फंसा चलता  है शहर। 

बसों ट्रामों में लटक लोग चलते हैं यहाँ 
जिन्दी  लाशों  को ढोता रहता है शहर। 

पड़ोसी-पड़ोसी को नहीं पहचानता यहाँ 
बंद  दरवाजों  के पिछे  बसता है शहर।

लाखों की भीड़ में अकेला आदमी यहाँ
नम्बरों के सहारे ही पहचानता है शहर। 

बेरोजगारों को भी नौकरी मिलती यहाँ 
गाँवों  पर यह अहसान करता है शहर।