मस्त रहो खाओ-पीओ मत करो तुम फ़िकर,
नाचते - गाते हुए पूरा करो जीवन का सफर,
कौन साथ लेकर आया कौन साथ ले जाएगा,
साथ तुम्हारे जाएगा वो भलाई का काम कर।
स्वार्थ भरी सारी दुनिया देखलो चाहे जिधर,
बेटा भी नहीं बात करता पास में बैठ कर,
एक दिन चले जाओगे सभी कुछ छोड़ यहाँ,
सबकी झोली भर चलो अपने हाथों बाँट कर।
जो संसार का नियंता उस प्रभु को कर नमन,
उसकी भृकुटि मात्र से होता यहाँ आवागमन,
कोई भी कर्म करो उससे नहीं छिपा सकोगे,
वह है सर्व काल द्रष्टा वह सभी का प्राण धन।
चन्द्रमा क्यों मंगल ग्रह सबको ले जा साथ में ,
जिन्दगी का एक भी पल नहीं तुम्हारे हाथ में,
ओस के कण की तरह यह जिंदगी है हमारी,
अन्त में जाना नहीं है कुछ भी हमारे साथ में।
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