क्या रसखान सूर तुलसी
का जमाना फिर आयेगा,
क्या भय से पथराया जग
फिर से प्रेम गीत गायेगा ?
क्या नफरत के समाज में
फिर से भाईचारा आयेगा,
ढाई आखर प्रेम का बोल
फिर से समाज में गूँजेगा।
क्या मीरा का भक्ति-प्रेम
तुलसी की चौपाई राजेगी,
हिंसा-घृणा की दीवार टूट
जीवन की गरिमा गाजेगी।
क्या सत्य अहिंसा का पथ
फिर से जीवन राह बनेगा,
मेरा प्यारा भारत फिर से
विश्व गुरु कहलायेगा। 🌼
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