घर-घर जाते हाथ जोड़ नमन करने
बन जाते शहंशाह फिर चुनाव बाद।
टोली संग निकलते फरियादें करने
बन जाते बाहुबली एक चुनाव बाद।
सभाएं करते हैं बड़े-बड़े वादे करने
बन जाते घोटालेबाज चुनाव के बाद।
मुफ्त रेवड़ियां बांटते चुनाव में जितने
अपनी तिजोरियां भरते चुनाव के बाद।
नम्रता की मूरत बनते चुनाव को जितने
असली रंग में आ जाते चुनाव के बाद।