Wednesday, October 2, 2024

बिना हमसफ़र जीवन सूना- सूना लगता है 
जीने का नाटक भी कितना झूठा लगता है। 

जीवन है तो सहना और रहना भी पड़ता है 
बिन हमराही तन्हाई को सहना भी पड़ता है। 

याद आते हैं वो लम्हे जो साथ साथ गुजरे थे 
उन लम्हों में जाने कितने इंद्रधनुष उभरे थे।  

अगर तुम आओ तो लगाऊं बाहों का बंधन 
झूम उठे तन-मन मेरा और सांस बने चंदन। 




Saturday, September 28, 2024

चौखट

जुल्म  सह  कर भी  जो सदा चुप रहे  
ऐसी  बेबसी भी फिर किस काम की। 

जिंदगी भर दुःखों को अकेला सहता रहे 
रिश्तों की बैसाखी फिर किस काम की।

ग़मों में  डूब  कर जो जीवन  जीता रहे 
यादों की जुगाली फिर किस काम की। 

बुढ़ापे में माता - पिता संग जो नहीं रहे 
ऐसी औलाद भी  फिर  किस काम की। 

जीवन में हमसफ़र का जो साथ न रहे 
तन्हा जिंदगी भी  फिर किस काम की। 


Wednesday, September 4, 2024

तुम्हें भेजूंगा लिख कर

गंगा के कलकल स्वर को  
कानों में भर कर 

हिमालय की सुंदरता को  
आँखों में सजा कर 

रजनीगंधा की महक को 
साँसों में भर कर 

प्यारी मदहोशी यादों को 
दिल में संजो कर 

भेजूंगा एक कविता को 
तुम्हें लिख कर। 



Tuesday, August 20, 2024

मुझे रुला कर क्या पाओगे ?

तन्हाई का जीवन मेरा 
केवल यादों का सम्बल 
बंधा हुवा हूँ बंधन में 
इसे मिटा कर 
क्या पाओगे 

जीर्ण-जर्जर मेरी काया
धूमिल हुई जीवन आशा  
व्यथाएँ देती दस्तक
अब दर्द देकर
क्या पाओगे

सपने सारे बिखरे मेरे
आलिंगन भी रूठ गए
देखा मैंने प्रेम सभी का 
और दिखा कर 
क्या पाओगे 

सम्बोधन की सीमा टूटी 
प्यार की बुनियाद रूठी 
चौखट हाहाकार करती 
बेघर कर 
क्या पाओगे

हँस कर जीवन जीने का 
मैंने एक संकल्प लिया
अंतर की पीड़ा सहता 
मुझे रुला कर 
क्या पाओगे ?




Saturday, August 10, 2024

यह वक्त है

यह वक्त है 
खुली आँखों से 
वक्त को देखने का 
यह स्वीकार करने का 
कि 
हमने हमारी बातों 
और 
कामों को मनवाने में 
व्यर्थ ही समय गंवाया 

यदि अभी भी 
और जानना हो 
जाओ 
और 
पूछों बांग्ला देश में 
हिन्दुओं से 
कि 
उनका क्या अंजाम हुआ 
जुल्म किया है 
शैतानों ने 

क्या भूल गए 
कश्मीर को 
घाव अभी भरा नहीं है 

हमारा जनबल है अभी 
लेकिन 
हमने मजबूती से नहीं पकड़ा है 
एक-दूजे का हाथ 
एक अच्छे दिन की तरफ 
जाने के लिए 

यह गीत 
सुना जाना चाहिए 
आँखों में एक सपना 
अब 
ज्वाला बनना चाहिए। 




कुछ शेर


मेहनत करके तकदीर की लकीरें सजाओ,
हाथों की लकीरों में जीवन मत उलझाओ। 

सोने के पिंजरे से तो अपना घोंसला अच्छा,
गुलामी से सदा आजादी का जीवन अच्छा।

जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं ये समझलो,
जो भी तुमको करना है वह जल्दी करलो। 

कभी भी किसी से पाने की आशा मत रखो 
खुशियां लेनी है तो तमन्ना लुटाने की रखो। 

धन का नशा जब भी सिर पर चढ़ जाता है,
घर -परिवार, रिश्ते -नाते सब मिटा देता है । 






जीवन का दरवाजा

सीधा है जीवन का दरवाजा 
लेकिन जो वहाँ तक ले जाता है 
वह रास्ता बहुत संकरा है
कुछ लोग ही होते हैं 
जो पहुँच पाते हैं वहाँ तक 

कुछ विधर्मियों द्वारा 
राह में भटका दिए जाते हैं 
तो कुछ खुद ही राहों में 
भटक जाते हैं 
नहीं पहुँच पाते सही सलामत
उस चमकते दरवाजे तक 

कुछ ताले की चाबी 
ढूंढने में ही जीवन 
बिता देते हैं 
नहीं पहुँच पाते 
फूलों की राह चल 
उस सुनहरे दरवाजे तक 

चाहता है हर कोई पहुँचना 
मगर घूमते रह जाते 
रोशनी और अँधेरे के बीच 
जो पवित्र और पूर्ण है 
वही पहुँच पाते हैं 
उस दिव्य दरवाजे तक।