Tuesday, August 28, 2018

कल हम गांव चलेंगे

गांवों से शहर की ओर 
पलायन करती 
युवा पीढ़ी को हम देखेंगे  
कल हम गांव चलेंगे 

वर्षा के इन्तजार में 
धरती की फटती 
देह को हम देखेंगे 
कल हम गांव चलेंगे 

निर्जल पड़ी 
बावड़ी की सुनी 
पनघट को हम देखेंगे 
कल हम गांव चलेंगे 

गांव की गलियों में 
भूखे पेट घूमती 
गायों को हम देखेंगे 
कल हम गांव चलेंगे 

शहर से लौट आने का 
इन्तजार करती पथराई 
आँखों को हम देखेंगे 
कल हम गांव चलेंगे 

ध नंगी देह में 
खेतों में काम करते 
अन्नदाता को हम देखेंगे 
कल हम गांव चलेंगे।

No comments:

Post a Comment