Saturday, February 18, 2023

विश्वास

आज रात्रि में  
मैं  निडर हो कर सोउंगा 
क्योंकि मुझे कल जीना है 

कल सूर्य भी 
अपनी स्वर्णिम किरणों से 
वैसे ही स्वागत करेगा  
जैसे रोज करता है 

कल चमन में भी 
मधुमय फूलों की बहार 
वैसे ही खुशबु लुटायेगी 
जैसे रोज लुटाती है

कल हवा भी 
इतराती हुई, मेरे बदन को 
वैसे ही सहलाकर कर बहेगी 
जैसे रोज बहती है 

कल मेरा यार भी 
कॉफी की टेबल पर 
वैसे ही इन्तजार करेगा 
जैसे रोज करता है 

कल वे सब भी 
वैसे ही मेरे साथ होंगे 
जैसे रोज मेरे साथ होते है। 



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