आज रात्रि में
मैं निडर हो कर सोउंगा
क्योंकि मुझे कल जीना है
कल सूर्य भी
अपनी स्वर्णिम किरणों से
वैसे ही स्वागत करेगा
जैसे रोज करता है
कल चमन में भी
मधुमय फूलों की बहार
वैसे ही खुशबु लुटायेगी
जैसे रोज लुटाती है
कल हवा भी
इतराती हुई, मेरे बदन को
वैसे ही सहलाकर कर बहेगी
जैसे रोज बहती है
कल मेरा यार भी
कॉफी की टेबल पर
वैसे ही इन्तजार करेगा
जैसे रोज करता है
कल वे सब भी
वैसे ही मेरे साथ होंगे
जैसे रोज मेरे साथ होते है।
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