मन्दिर में शीश नवाने के
सन्तों की बाणी सुनने के
गीता-रामायण पढ़ने के
यज्ञों में आहुति देने के
नहीं रहें अब वो दिन ?
माँ-बाप की सेवा करने के
परिवार के संग में रहने के
भाई संग भोजन करने के
बच्चों को गोद खिलाने के
नहीं रहें अब वो दिन ?
सत्य मार्ग पर चलने के
फुरसत से बतियाने के
राही को नीर पिलाने के
पंछी को दाना देने के
नहीं रहें अब वो दिन ?
सूर्योदय से पहले उठने के
शील आचरण पालन के
गुरुकुल में शिक्षा पाने के
बड़ों को शीश नवाने के
नहीं रहें अब वो दिन ?
No comments:
Post a Comment