गांव में बापू के
घर के दरवाजे सदा
खुले रहते थे
सबके लिए
घर आए मेहमानों
और राहगीरों के लिए
जिन्होनें कभी कुछ
नहीं माँगा जीवन से
उन गरीबों के लिए
अजनबी दोस्तों
और अजनबी
भाइयों के लिए
कहते थे
भाई हैं हम सब
रखते थे बड़ा दिल
सब के लिए
लेकिन कोई
अपने घमंड में चूर
प्रहार करता है
हमारे गढ़ के दरवाजे पर
कब्ज़ा करने के लिए
लेकिब ख़्याल रहे
जल्द ही वह दिन आएगा
जब वह पछ्ताएगा
यह धूर्ततापूर्ण विनाश
घातक है
अपराध है
दंड का विधान है
सबके लिए।
अब कहाँ मिलते हैं ऐसे लोग जो सबका अच्छा सोचते ही न थे करते भी थे ,,,
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा कविता जी आपने।
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