Monday, August 25, 2025

प्यार का दीप जला कर चलो

प्यार का दीप जला कर चलो
तम दिशाओं का धूल जायेगा, 
स्नेह का सफर बना कर चलो 
जीवन पथ सहज बन जायेगा।

रंग-रूप का घमण्ड मत करो
कंचन - काया धूल हो जाएगी, 
सच्चे कर्मों की  जोत जलाओ
जीवन सफर में काम आएगी।

प्यार और स्नेह को बाँटते रहो 
दुख -दर्द सारा मिटता जायेगा,
त्याग की गंगा सदा बहाते रहो
हर दिल फूल बनता  जायेगा।

मन को निर्मल सरोवर बनाओ 
लोभ का मैल सब धुल जायेगा,
भक्ति का दीप जला कर चलो
अन्धकार मिटता चला जायेगा। 

Wednesday, August 13, 2025

युद्धों को रोकना होगा

बहुमंजिले अपार्टमेंट
बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स 
आवासीय कॉलोनियाँ और
बड़े-बड़े भवनों का निर्माण 
निरंतर होता जा रहा है। 

नगर और शहर
कंक्रीट के जंगल 
बनते जा रहे हैं। 
हरे-भरे पेड़-पौधे
हजारों की तादाद में 
प्रतिदिन कटते जा रहे हैं। 

पेट्रोल - डीज़ल चलित
वाहन और घरों में लगे
 ऐ. सी. और फ्रिज 
दिन-रात जहरीली गैसे
उगल रहे हैं। 

टैंकों, लड़ाकू विमानों
जहाज़ों और हथियार 
उत्पादन करने वाले देश 
भारी मात्रा में निरंतर 
जीवाश्म ईंधन जला रहे हैं।  

युद्धों के दौरान
आगजनी और बमबारी से
काला कार्बन और
ग्रीनहाउस गैसों का
भारी मात्रा में
उत्सर्जन हो रहा है।

उद्योग और ऊर्जा के
बुनियादी ढांचे के
नष्ट होने से वातावरण में
बड़ी मात्रा में मीथेन और
कार्बन डाइऑक्साइड
उत्सर्जित हो रही है।

यही सब कारण 
प्राकृतिक आपदाओं को 
आमंत्रण दे रहें हैं। 

ग्लेशियरों का पिघलना 
बाढ़ों का आना 
बादल का फटना 
भूस्खलन का होना 
पहाड़ का टूटना 
पानी और हवा का 
प्रदूषित होना 
सब इन्ही कारणों से 
हो रहा है।  
 
यदि मानव जीवन को 
बचाना है तो हमें 
पर्यायवरण को 
बचाना होगा, 
युद्धों को रोकना होगा, 
परमाणु आयुधों को 
ख़त्म करना होगा,
तभी मानव जीवन 
सुरक्षित रहेगा।  


Thursday, August 7, 2025

किसने सोचा ऐसा होगा

किसने सोचा 
ऐसा होगा। 

बादल फूटे 
पहाड़ टूटे 
रेला आया 
इतना कस के, 
सभी रह गए 
उसमें फँस के। 

अब न जाने 
क्या होगा, 
किसने सोचा 
ऐसा होगा। 

घर बहे 
होटल बहे 
चारो ओर 
तबाही छाई,
जन-धन की 
बर्बादी आई। 

सोचने का 
समय न होगा 
किसने सोचा 
ऐसा होगा। 

कहीं चीखें 
कहीं क्रंदन 
जीवन की धुन 
थम गई,
गांव की रौनक 
मिट गई।

धराली गांव 
बर्बाद होगा, 
किसने सोचा 
ऐसा होगा।