किसने सोचा
ऐसा होगा।
बादल फूटे
पहाड़ टूटे
रेला आया
इतना कस के,
सभी रह गए
उसमें फँस के।
अब न जाने
क्या होगा,
किसने सोचा
ऐसा होगा।
घर बहे
होटल बहे
चारो ओर
तबाही छाई,
जन-धन की
बर्बादी आई।
सोचने का
समय न होगा
किसने सोचा
ऐसा होगा।
कहीं चीखें
कहीं क्रंदन
जीवन की धुन
थम गई,
गांव की रौनक
मिट गई।
धराली गांव
बर्बाद होगा,
किसने सोचा
ऐसा होगा।
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