Tuesday, December 14, 2021

जवानी


बला है, कहर है, आफत है यह जवानी, 
चेहरे पर चार चाँद लगा देती है  जवानी,
पैगाम - ए - मोहब्बत की बहारें लाती है,
उम्मीदों की कलियां खिला देती जवानी। 

मुस्कराना और  झेंपना सिखाती जवानी,
इश्क़े - इजहार करना सिखाती  जवानी,
हौसलों  की उड़ाने  सफलता  चूमती है,
जब लक्ष्य पर निशाना साधती है जवानी। 

एक तो थोड़ी जिन्दगी फिर यह जवानी, 
देखते ही देखते फिसल जाती है जवानी, 
कातिल अदाएँ जब भी क़यामत ढाती है,
मर मिटने को तैयार हो जाती है जवानी। 

बहते दरिया सी अल्हड होती है जवानी,
मौजो की रवानी नादान होती है जवानी,
दिल  की हसरतें दिल में ही रह जाती है, 
बुढ़ापे का हाथ थमा चली जाती जवानी।





9 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(१६-१२ -२०२१) को
    'पूर्णचंद्र का अंतिम प्रहर '(चर्चा अंक-४२८०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. नमस्ते अनीता जी। धन्यवाद आपका

      Delete
  2. वाह!!
    बहुत ही बेहतरीन और शानदार सृजन

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद मनीषा।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर रचना भागीरथ जी, बहुत ही खूब

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अलकनन्दा जी।

      Delete
  5. जिंदगी के हर मोड़ को पिरोती सार्थक रचना।
    बधाई।

    ReplyDelete
  6. धन्यवाद पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी।

    ReplyDelete