Monday, June 17, 2024

यादों के शेर

तुम तो चंद दिनों की खुशियां देकर चली गई, 
तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ा मुझे तन्हा कर गई।  

कोशिश बहुत की मगर तुम्हें भूल नहीं पाया,
मिलने की चाहत दिल से निकाल नहीं पाया। 

आसमां में सितारें बहुत है मगर चाँद चाँद है,
हसीनाएं तो बहुत है मगर आप जैसी कहाँ है। 

बचपन से साथ रही,अब तन्हा रहना मुश्किल है 
छवि उतर गई दिल में अब मिटाना मुश्किल है।  

प्रयत्न करता हूँ कि अब मुझे खूब नींद आये, 
नींद संग सपने आये और सपने में तुम आये। 

प्रभु से प्रार्थना करूँगा सदा खुश रखे तुमको, 
मैं तो स्वर्ग जाकर भी प्रभु से मांगूगा तुमको। 






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