जन्म-जन्मांतर से
जीवन मिलता रहा
धरा पर आता रहा
जीवन जीता रहा
हर एक जन्म में
नया रूप मिलता रहा
नया रिश्ता जुड़ता रहा
भोगो में फंसता रहा
अजरता मांगता रहा
बुढ़ापा मिलता रहा
मृत्यु वरण करता रहा
प्रारब्ध को भोगता रहा
कभी जलाया गया
कभी दफनाया गया
सदा मिट्टी में मिलता रहा
जीवन चक्र चलता रहा।
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