आँगन सुना,चौबारा सुना
बिना तुम्हारे यह घर सुना,
मन सूना और आँखें सूनी
मेरा जीवन दर्पण सूना।
जब से तुम बिछुड़ी मुझसे
दर्द मेरा हमराज बन गया,
जीवन को मझधार में छोड़ा
सारा सुख नीलाम हो गया।
कुम्हला गये अरमान मेरे
जीवन अब पतझड़ बना,
बिना तुम्हारे अब जीवन
वीरान एक खँडहर बना।
अब तो केवल स्मृती बची
फिर मिलने कीआस नहीं,
आँखों में अविरल अश्रु है
अब खत्म एक कहानी है।
No comments:
Post a Comment