Sunday, April 3, 2022

आत्मीयता

मेरे भाषण के बाद 
मुख्य अध्यापिका ने अपना 
धन्यवाद भाषण दिया 

थोड़ी देर में ही 
सामने लगी टेबलों पर 
नाश्ते की प्लेटें सजा दी गई

गाँव वाले जो नीचे 
दरी पर बैठे हुए थे
उनके सामने भी नाश्ता 
लगा दिया गया  

मैं उठा और 
प्लेट लेकर गाँव वालों के 
बगल में जाकर बैठ गया 

मुझे नीचे बैठा देख 
सभी मेरे पास चले आये और 
मुझ से हाथ मिलाने लगे

प्लेटों से मिठाई उठा 
अपने हाथों से खिलाने लगे 
उनकी आत्मीयता देख 
मैं भाव-विभोर हो गया 

मैं उनसे बहुत देर तक 
बातें करता रहा 
परिवार, खेती, बच्चों की 
जानकारी लेता रहा 
कुछ नई बातें बताता रहा 

सभी प्रेमातुर होकर मेरे माथे 
पीठ पर हाथ फिराने लगे 
कहने लगे आज तक किसी ने 
इस तरह पास बैठ कर 
इतनी बातें नहीं की 

तुम तो अपने ही हो 
गांव आते रहा करो 
अच्छा लगता है 
कोई आकर हमारे से 
इस तरह की बातें करे

हमारे शहरों में आज 
धरती से जुड़े ऐसे 
गाँव - गिराँव के सीधे-सादे 
भोले मन के लोग कहाँ मिलते हैं ?






 

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