मेरे भाषण के बाद
मुख्य अध्यापिका ने अपना
धन्यवाद भाषण दिया
थोड़ी देर में ही
सामने लगी टेबलों पर
नाश्ते की प्लेटें सजा दी गई
गाँव वाले जो नीचे
दरी पर बैठे हुए थे
उनके सामने भी नाश्ता
लगा दिया गया
मैं उठा और
प्लेट लेकर गाँव वालों के
बगल में जाकर बैठ गया
मुझे नीचे बैठा देख
सभी मेरे पास चले आये और
मुझ से हाथ मिलाने लगे
प्लेटों से मिठाई उठा
अपने हाथों से खिलाने लगे
उनकी आत्मीयता देख
मैं भाव-विभोर हो गया
मैं उनसे बहुत देर तक
बातें करता रहा
परिवार, खेती, बच्चों की
जानकारी लेता रहा
कुछ नई बातें बताता रहा
सभी प्रेमातुर होकर मेरे माथे
पीठ पर हाथ फिराने लगे
कहने लगे आज तक किसी ने
इस तरह पास बैठ कर
इतनी बातें नहीं की
तुम तो अपने ही हो
गांव आते रहा करो
अच्छा लगता है
कोई आकर हमारे से
इस तरह की बातें करे
हमारे शहरों में आज
धरती से जुड़े ऐसे
गाँव - गिराँव के सीधे-सादे
भोले मन के लोग कहाँ मिलते हैं ?
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