तुमने आज पहली बार
शिकायत की
कि आपका दिन-रात
काम में लगे रहना
मुझसे अब सहा नहीं जाता
मैं सहम उठा
काम- काज में इतना व्यस्त रहा
की मैंने कभी सोचा भी नहीं
कि तुम घर -परिवार के बीच
मुझे इस तरह मिस करती होगी
उचित तो यह था कि
मैं अपने परिश्रम पर खुश होता
मगर तुम्हारी बात सुन कर
मैं दुःखी हो गया
जरूर तुमने सहने के
अंतिम छोर पर पहुँच कर ही
यह बात कही होगी
मैंने कहा
चलो मैं तुम्हारी बात को
मान लेता हूँ
में तुम्हारे सामने बैठा हूँ
तुम जो कहोगी मुझे मंजूर है
मेरी बात पर तुम हँस पड़ी
मुझे लगा तुमने अपनी
शिकायत वापिस ले ली
और अगले दिन
मैं फिर निकल पड़ा
रोज की तरह
तुम्हें फिर सोचते और
सहते छोड़ कर।
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