Saturday, January 5, 2019

ख्वाब अधूरा रह गया

तोड़ गई वो वादा अपना, सात फेरों के संग किया
चली गई वो स्वर्गलोक में, बिच राह में छोड़ दिया।

खुशियाँ रूठ गई जीवन की,जीवन मेरा बिखर गया
  किश्ती डूबी मेरे जीवन की, बीच भंवर में फंस गया।

रंग उड़ा मेरे जीवन का, आँखों से सपना बह गया
खुशियाँ डूबी जीवन की,  बासंती मौसम रीत गया।

किस से दिल की बात कहूँ, मन का मीत चला गया
अंतहीन है विरह वेदना,  प्यार में  जीवन छला गया।

जब जब मैंने याद किया, नयनों में नीर उतर आया
ठण्डी पड़ गई मेरी साँसें, जीवन चापल्य रीत गया।

\सदियों जैसा दिन लगता है, मेरा जीवन ठहर गया
  रात गुजरती आँखों में अब, ख्वाब अधूरा रह गया। 




( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )

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