मैं अब किसके रंग लगाऊँ,
किसके गाल गुलाल चुराऊँ,
किसके संग करूँ ठिठोली,
बिना तुम्हारे कैसी होली?
रिमझिम रंगों की बरसातें,
रंग सब पिचकारी में डालें,
मैं किसके संग खेलूं होली,
बिना तुम्हारे कैसी होली?
जब भोली भाली सूरत ने,
मुझे रँगा था अपने रँग में,
भूला नहीं वो हसीन होली,
बिना तुम्हारे कैसी होली?
एक बार आ जाओ सजनी,
मिल कर खेलें प्यारी होली,
आलिंगन की चाह हठीली,
बिना तुम्हारे कैसी होली?
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (१८ -०३ -२०२२ ) को
'होली के प्रिय पर्व पर करते सब अभिमान'(चर्चा अंक-४३७२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी धन्यवाद। आभार आपका।
Deleteरिमझिम रंगों की बरसाते
ReplyDeleteलेकर रंग पिचकारी डाले,
मैं किस संग में गाउँ होली
बीना तुम्हारे कैसी होली ?
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बहुत अद्भुत पंक्तियाँ
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
धन्यवाद आपका।
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