उम्र की ऐसी की तैसी
आओ बचपन खेलते हैं।
बल्ला-गेंद लेकर आओ
चौके - छक्के लगाते हैं।
पहले मिल खो-खो खेलें
फिर लम्बी रेल बनाते हैं।
कागज़ की पतंग बना
आसमान में उड़ाते है।
तुम छुप जाओ मैं ढ़ुँढ़ुगा
छुपन - छुपाई खेलते हैं।
छोटे-छोटे पत्थर लाकर
गुटियों का खेल खेलते हैं।
गिल्ली डंडा चोर सिपाही
मिल कर आज खेलते हैं।
टायर, गिप्पा,लंगड़ी टांग
लट्टू, गुलेल चलाते हैं।
मारम-पिट्टी, सांप-सीढी
उसको भी आजमाते हैं।
भोली सी शैतानियों संग
थोड़ी नादानियाँ करते हैं।
गोली और कंचों के संग
खनकते खेल खेलते हैं।
कुछ हारेंगे कुछ जीतेंगे
बचपन के खेल खेलते हैं।
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