रात की मदहोशी
नींद से जब जगु
इन्तजार में राह निहारती
तुम्हारी पलकें चाहिए
मुझे तुम्हारा साथ चाहिए।
सुबह मॉर्निंग वाक करके
जब मैं घर लौटू
नज़रों के सामने मुझे
तुम्हारा खिलता चेहरा चाहिए
मुझे तुम्हारा साथ चाहिए।
दिन भर काम कर के
थका हारा जब घर लौटू
दरवाजे पर इन्तजार करती
तुम्हारी शरबती आँखें चाहिए
मुझे तुम्हारा साथ चाहिए।
जीवन के सुरम्य पथ में
हर कदम- कदम पर
तुम्हारी खिलती प्राणमयी
मुस्कान चाहिए
मुझे तुम्हारा साथ चाहिए।
थोड़ी सी शराररत
थोड़ी सी तकरार
थोड़ा तुम्हारे नरम हाथों का
स्पर्श चाहिए
मुझे तुम्हारा साथ चाहिए।
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