अनजान से लव
जब से करने लगी हैं
35-50 टुकड़ों में
कटने लगी हैं बेटियां।
परंपरा की चौखट
जब से लांघने लगी हैं
नालों में यहां-वहां
मिलने लगी बोटियां।
चार अक्षर पढ़ कर
परिवार को नासमझ
खुद को ही समझदार
समझने लगी बेटियां।
लव- इन रिलेशन में
जब से रह ने लगी हैं
दरिंदों के हाथों
जान गंवा रही बेटियां।
थमो-रुको, ज़रा सोचो
अगर तुम्हें प्यार हैं
तो पहले सच्चे प्यार की
पहचान करो बेटियां।
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