Saturday, August 21, 2021

फूलों की हँसी

रहती थी एक परी 
फूलों के घर में
विद्यादेवी ले गई उसे 
सात समंदर पार 
घर के फूल उदास हो गए। 

अपनी अनवरत साधना के बल 
परी एक दिन सफल हुई 
विद्यादेवी से वरदान पाने में 
अपना नाम रोशन कर 
परी निकल गई विद्यामंदिर से। 

बाहर मुद्राराक्षस ने 
अपना जाल फैला रखा था 
परी अनजाने में फंस गई जाल में। 

क्या परी अब 
मुद्राराक्षस के तिलस्म को तोड़ पाएगी ?
डॉलर के मायालोक को छोड़ पाएगी ?
सभी प्रश्न तो सामने खड़े हैं। 

घर के फूल तो आज भी उदास है
परी का स्वदेश लौट कर आना ही 
घर के आँगन की ख़ुशी 
और फूलों की हँसी है। 


 


2 comments:

  1. risto ke mayne ko vayan karti ati sundar rachana.
    kripaya kabhi hamare blog pe bhi aaye. dhanyabad

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  2. जी जरूर। धन्यवाद।

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