विचारणीय । वैसे ईश्वर ने तो बहुत कुछ रचा है
आप की बात बिलकुल सही है। ईश्वर ने तो बहुत कुछ बनाया है, लेकिन उसकी सबसे सुन्दर कृति तो मनुष्य ही है। आज उसको देख उसे कैसा लग रहा है, यह चार लाइनें इसी सन्दर्भ में है।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 03 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आभार आपका यसोदा जी।
सही नाम इस प्रकार से लिखें --भागीरथ कांकाणी
मानव के रचयिता अपनी रचना की सार्थकता अवश्य ढूँढ रहे होंगे या फिर जरूर उन्हें कठपुतलियों के खेल का शौक होगा...।विचारणीय रचना।सादर।
मेरे भावों को समझने के लिए आभार आपका।
बहुत ही सुंदर सृजन।सादर
आभार आपका।
अत्यंत ही गहन अभिव्यक्ति ।
हार्दिक आभार आपका।
वाह
विचारणीय । वैसे ईश्वर ने तो बहुत कुछ रचा है
ReplyDeleteआप की बात बिलकुल सही है। ईश्वर ने तो बहुत कुछ बनाया है, लेकिन उसकी सबसे सुन्दर कृति तो मनुष्य ही है। आज उसको देख उसे कैसा लग रहा है, यह चार लाइनें इसी सन्दर्भ में है।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 03 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार आपका यसोदा जी।
ReplyDeleteसही नाम इस प्रकार से लिखें --
ReplyDeleteभागीरथ कांकाणी
मानव के रचयिता अपनी रचना की सार्थकता अवश्य ढूँढ रहे होंगे या फिर जरूर उन्हें कठपुतलियों के खेल का शौक होगा...।
ReplyDeleteविचारणीय रचना।
सादर।
मेरे भावों को समझने के लिए आभार आपका।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
आभार आपका।
Deleteअत्यंत ही गहन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteवाह
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