सारे मौसम लगते फीके, मैं रहा अकेला राहों में।
तुम थी मेरी जीवन साथी, तुम थी जीवन आधार
मूरत बैठी मन मंदिर में, मैं रहा अकेला राहों में।
मैंने आँखों में डाला, जीवन सपनों का काजल
कारवां तो गुजर गया, मैं रहा अकेला राहों में।
सातों कसमें खाकर, तुम साथ निभाने को आई
बीच राह में वादा तोड़ा, मैं रहा अकेला राहों में।
दुःख मेरा क्या बतलाऊँ, दिल रोता है रातों में
यादों की बैसाखी संग, मैं रहा अकेला राहों में।
गीत अधूरे छूटे मेरे, अब क्या ग़मे बयान करूँ
सरगम टुटा जीवन का, मैं रहा अकेला राहों में।
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