परिंदों की
पहली उड़ान संग
चले जाते हैं खेतों में
पेड़ों को देख
भूल जाते हैं थकान
लग जाते हैं काम में
भीगे खेत देख
भूल जाते हैं उदासी
फूटते हैं स्वर अलगोजे में
आसमान में
चाँद देख खो जाते
भविष्य के सपनों में
वापसी के बाद भी
गांव पक रहा है
मेरे सपनों में
याद आते हैं
रोहिड़ा खेत
समलाई नाड़ी
गांव का गुवाड़
लौट कर
आने वालो के लिए
गांव सदा खुले रखता है
अपने किंवाड़।
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