Wednesday, November 23, 2022

घरों के किंवाड़

परिंदों की 
पहली उड़ान संग 
चले जाते हैं खेतों में 

पेड़ों को देख 
भूल जाते हैं थकान 
लग जाते हैं काम में 

भीगे खेत देख 
भूल जाते हैं उदासी 
फूटते हैं स्वर अलगोजे में 

आसमान में 
चाँद देख खो जाते 
भविष्य के सपनों में 

वापसी के बाद भी
गांव पक रहा है 
मेरे सपनों में 

याद आते हैं 
रोहिड़ा खेत 
समलाई नाड़ी 
गांव का गुवाड़

लौट कर 
आने वालो के लिए 
गांव सदा खुले रखता है 
अपने किंवाड़। 






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