Tuesday, June 14, 2022

मुझको याद सताये

आसमान में बिजुरी चमके 
गरजे बादल घोर,
याद तुम्हारी मुझे सताऐ 
तड़पे करती शोर। 

कामदेव धरती पर आया 
खींची पुष्प कमान, 
चारों ओर बसंत लहराया 
यादें हुई जवान। 

रिमझिम कर बरखा आई 
नील गगन को घेरा,
विरही गीत चातक ने गाया   
उदास हुवा मन मेरा। 

धानी चुनरियाँ धरा ने ओढ़ी
खिलने लगे पलाश,
कुहू तान कोकिल ने छेड़ी 
करती मुझे उदास। 

डाल - डाल पर झूले डाले 
सखियाँ कजरी गाये,
मोर-पपीहा छम छम नाचे 
मुझको याद सताये। 


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