Friday, June 10, 2022

अब प्यार की कस्ती सजा

बचपन सारा रीत गया 
यौवन साथ छोड़ गया
जीवन साथी संग बैठ कर 
अब प्यार की कस्ती सजा। 

ऑफिस कुर्सी छोड़ कर 
घर के सिंहासन पर बैठ 
लॉन में मधुर संगीत सुन 
अब दिल के शौक सजा। 

चुनौतियों का बीता दौर 
उपलब्धियों को याद कर
चाय की चुस्कियों के संग 
अब जीत का सेहरा सजा।

मन के झरोखे खोल कर 
बीते दिनों को याद कर 
नेह की शबनम चुरा कर 
अब अधूरे ख्वाब सजा। 

मधुमय है जीवन बेला 
मस्ती से मन को बहला
साँझ की शीतल हवा संग 
अब चैन की बंसी बजा।  

देश-विदेश भ्रमण कर
अरमानों को पूरा कर
चांदनी में संग बैठ कर 
अब जीवन में रंग सजा। 

हमसफ़र से बातें कर 
हसीन लम्हें याद कर 
प्रीत को फिर से गुदगुदा 
अब विजय उत्सव सजा। 










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