रात चाँदनी
तारे चमके
चँदा बोला
हीया- हीया हो।
बिजली चमकी
बादल बरसा
मोर बोला
हीया -हीया हो।
कली खिली
फूल हँसा
भंवरा बोला
हीया -हीया हो।
सावन आया
झूले डाले
कोयल बोली
हीया- हीया हो।
सूरज निकला
सर्दी भागी
बच्चे बोले
हीया -हीया हो।
घंटी बजी
छुट्टी हुयी
सब कोई बोले
हीया -हीया हो।
कोलकत्ता
२६ मार्च,२०१०
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )