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Saturday, July 23, 2022

मोबाईल सागै सगळा नै टेम ( राजस्थानी कविता )

पेळी लोग 
टैम पास करण खातर 
बातां किया करता 

कर कळैवो सगळा 
चूंतरी पर बैठ ज्यांवता  
चिलम रे सपीड़ा सागै 
सगळी बातां करता 

रोटी खावण ने 
घर मायं आंवता जणा 
लुगायां सागै घर-बिद की
सगळी बातां करता 

दुपारी में पोली 
मायं आडा हुवंता जणा 
पड़ोस्यां सागै दुःख-सुख की 
सगळी बातां करता 

रात पड़्या गुवाड़ी मांय 
मांचा ढाळ' र बैठ ज्यांवता 
बुड्ढा-बडेरा धरम-करम री 
सगळी बातां करता 

पण अबै  बातां करणे रो 
कोई कनै भी नीं है  टैम
नीं थाने टैम नीं म्हाने टैम 
पण इण मोबाईल सागै 
सगळा नै है टेम ही टैम।