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Thursday, July 21, 2022

एक बार तो गांव आयां सरसी ( राजस्थानी कविता )

गांव री गळ्यां  थारी जौवे बाट  
घर री थळी करे थारी अडीक,  
इयां परदेसी बण्या कियां हुसी 
एक बार तो गांव आयां सरसी। 

धोरां वाळा काकड़ी र मतीरा 
अगुण खेत री बाजरी रा सिट्टा,
आरों सुवाद भुलाया कियां हुसी  
एक बार तो गांव आयां सरसी। 

खेजडल्यां रा  लड़ालूम खोखां 
झड़का रा मिश्री मगरा बोरिया,  
आरों सुवाद भुलाया कियां हुसी  
एक बार तो गांव आयां सरसी। 

केशरिया बानां पहरयां रोहीड़ा 
खेत रे सींवांण फोग' र खेजड़ा,
आं रुखां नै बिसरायां कियां हुसी 
एक बार तो गांव आयां सरसी। 

कबुतरां री मेड़ी माथै गटरकगुं 
कमेड़ी री ड़ोळी माथै टमरकटूं,
आं पंछ्या न भुलाया कियां हुसी  
एक बार तो गांव आयां सरसी। 

खीरा हेठै सेक्योड़ी ताती रोटी  
काचरा, फली, मतीरी रो साग,
आरों सुवाद भुलाया कियां हुसी  
एक बार तो गांव आयां सरसी। 

तारा स्यूं नितरा मुळकतो आभो 
मिनखां स्यूं मुळकती गाँव गळी, 
आं बाता नै भुलायां कियां हुसी  
एक बार तो गांव आयां सरसी।