Tuesday, October 29, 2013

आयशा बड़े कमाल की



नौ महीने की हुई आयशा 
खाटू-सालासर धाम गयी
बाला जी को बाल चढ़ाये
     जय कन्हैया लाल की
   आयशा बड़े कमाल की 

रात-रात भर गरबा देखे
थकने की कोई बात नहीं
हाथों में लेकर के डंडिया
    सबके साथ धमाल की 
    आयशा बड़े कमाल की   

   घूम-घूम कर पूजा देखी 
     गली-मुहल्ले पंडाल की  
     तारों सी चमकाए आँखे  
      देख चमक पंडाल की 
     आयशा बड़े कमाल की  

       पुरे घर में धूम मचाए  
    चिमट्टी बड़े कमाल की  
       किचन में जब भी जाए   
      शामत आती थाल की  
      आयशा बड़े कमाल की    

   वैष्णो देवी के दर्शन कर  
 कश्मीर घूमने चली गयी
  मम्मी संग घोड़े पर बैठी
   नहीं पसंद अब पालकी 
      आयशा बड़े कमाल की।   



 

आयशा अपने नानाजी एवं मामाजी के संग माता वैष्णो देवी के दर्शनार्थ। 




Tuesday, October 22, 2013

कुदरत रो खेल (राजस्थानी कविता)

एक सी तो माटी
एक सी बैवे पून
एक सो तपै तावड़ो
मूळ मांई बैवे एक सो पाणी

फेर ए न्यारा-न्यारा स्वाद
कठै स्यूं निपज्या
कियां हुयो ओ अचरज ?

दाड़मा"र मौसमी
आम "र अंगूर
काकड़ी"र मतीरा
न्यारा-न्यारा रूप"र सुवाद

मिनख र समझ
माईं नीं आवै ओ खेल
सारो कुदरत रो खेल
कठै कांई निपजा देवै 

समझ एकलो  सिरजनहार
सिरजनहार री खिमता
कुण समझ सक्यो
अर कुण समझ पावैळो।




[ यह कविता  "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]



Sunday, October 20, 2013

Oh Great donor

Oh, Life Giver, it is you I've come to know,
So in your honor, I bow my head this low.

You passed on your organs
While landing at heaven's portal,
Oh this path of goodness
You've become immortal.

You sacrificed your kidneys
So someone could excrete,
You gave your heart
For another's life to beat.

You offered your eyesight
So someone else could see,
And it is I who has your lungs
That now allow me to breathe.
Oh ! Great donor
Oh ! Secret donor
I know you now.
To you I take the deepest bow.

We will forever be in your debt
You are thoughtful and kind,
You will always be with us
In both body and mind.

You gave it all away
As a willing volunteer,
Now the gates have opened in heaven
For your spirit to appear.

Go ahead through the door
Let the Lord greet you with open arms,
May the angels sing thy praises
Of your compassion and all your charms.

Ciao Hasta la vista, Adios, Sayonara, Alvida,Good Bye !
Great and Secret donor, Life giver,
You will be remembered forever.

(हिंदी कविता का अंग्रेजी अनुवाद मनीष कांकाणी  द्वारा किया गया )

Saturday, October 19, 2013

मौज मनास्या खेता में (राजस्थानी कविता )


धौरा माथै बाँध झुंपड़ो
दौन्यु रैस्या खेता में
सीट्टा मौरस्या मौरण खास्यां
खुपरी खास्यां खेता में
मौज मनास्यां खेता में

खेजड़ळी पर घाल हिंडोळो
हिंडो हिंडस्या सावण में
खाट्टा मिट्ठा खास्या बोरिया
कांकड़ वाला खेता में
मौज मनास्यां खेता में 

हरियै धान री मीठी सौरभ
गमकै ळी जद खेता में
अलगोजा पर मूमळ गास्यां
धौरां वाला खेता में
मौज मनास्यां खेता में

हेत प्रीत रा कांकड़ डोरड़ा
आपा खोलस्या खेता में
हाथ पकड़ कर कनै बैठस्यां
बाता करस्यां खेता में
मौज मनास्यां खेता में

साख सवाई अबके हुसी
घोटां पोटां बाजरियाँ
सिट्या तोड़स्यां कड़ब काटस्यां
खळो काढस्यां खेता में
मौज मनास्यां खेता में।




[ यह कविता "एक नया सफर" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]


Wednesday, October 9, 2013

पावन गंगा






स्वर्गलोक से भूलोक में चली आई गंगा
कर निनाद पहाड़ों में बहती चली गंगा 

जाति-धर्म से बंधकर नहीं रही गंगा
शीतल-निर्मल जल बहाती चली गंगा

ऋषियों की तपस्थली सदा बनी गंगा
जन-जन के कष्ट हरे ममता मयी गंगा

वसुंधरा को हरित बना बहती रही गंगा
जंगल में सदा मंगल करती  रही गंगा

तीर्थ बने नगर सभी जहाँ से निकली गंगा
जन शैलाब उमड़ पडा संगम बनी  गंगा

बहना ही जीवन जिसका रुकती नहीं गंगा
कागद्विप में आकर सागर में मिली  गंगा

आज अपनी पहचान खो रही है गंगा
अमृत बदला जहर में सूख रही गंगा

मत आहत करो प्रकृति कहती रही गंगा
वरना एक दिन जलजला  लाएगी गंगा।



[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]

Tuesday, October 8, 2013

शहीद की पीड़ा




मै इस देश की
सीमा पर तैनात एक 
अदना सा सिपाही हूँ

देश की
रक्षा करते हुए
आज शहीद हो गया हूँ 

मैंने अभी पुरे नहीं किए
अपने जीवन के
 तीस बसंत भी 

पच्चीस बर्ष में ही
मेरे जीवन का 
हो गया अंत भी 

मै जानता हूँ
मेरे  लिए कोई
शोक सभा नहीं होगी

कोई मौन
नहीं रखा जाएगा
कोई झंडा नहीं झुकेगा 

यहाँ तक कि
मेरे गाँव में मेरा कोई
स्मारक भी नहीं बनेगा

एक सिपाही की मौत से
 किसी को क्या
फर्क पडेगा ?

हाँ ! फर्क पडेगा
मेरे बच्चों को जिनका
मै बाप था

मेरी पत्नी को
जिसका मै पति था 
माँ को जिसका मैं बेटा था

और .....कल के
अखबार के कोने मे 
एक छोटी सी खबर छपेगी

कश्मीर घाटी में
आतंकियों से मुकाबला करते
    तीन सिपाही शहीद। 



[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]

Monday, October 7, 2013

सुनहरे मोती

किसी की नजरो से गिरने में वक्त नहीं लगता,
मगर किसी के दिल में बस कर दिखाओ तो जाने। 

किसी से प्यार के वादे करने में वक्त नहीं लगता,
मगर वादा कर के उसे निभाओ तो जाने।  

अपने मतलब से तो सभी गले मिलते हैं,
मगर किसी को बिना स्वार्थ गले लगाओ तो जाने।  

सुख में तो सभी साथी साथ निभाते हैं,
मगर दुःख में साथ निभा कर दिखाओ तो जाने।  

हँसते बच्चे को तो सभी गोद उठाते है,
मगर किसी रोते हुए बच्चे को गोद उठाओ तो जाने। 

तुम हिन्दू-मुस्लमान कुछ भी बनो
मगर  पहले इन्शान बन कर दिखाओ तो जाने।  



[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]

Sunday, October 6, 2013

सबको अच्छा लगता चाँद



बच्चों का यह चन्दा मामा
नील  गगन से निचे आता
लोरी गाकर  उन्हें सुलाता
तारों  के संग  रहता  चाँद
 सबको अच्छा लगता चाँद 

अमीर-गरीब का भेद नहीं
छुआ- छुत  की  बात नहीं
एक नजर और एक भाव से
सब के घर  में जाता चाँद
सबको अच्छा लगता चाँद

रोज चांदनी के संग आता
अंधियारे में राह दिखाता
  लेकर बारात सितारों की  
   पूनम को पूरा दीखता चाँद  
सबको अच्छा लगता चाँद

ईद मनाओ या करवा चौथ
करे  चाँद  का  दर्शन लोग
गीता कुरान  का भेद नहीं
सब के मन को भाता चाँद
  सब को अच्छा लगता चाँद।




[ यह कविता  "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]


Wednesday, October 2, 2013

कुछ दोहे

सुन तू ज्यादा कमती बोल,
वरना खोलेगा अपनी पोल।

दया-धर्म की गठरी खोल,
आया बुढ़ापा आँखे खोल।

मन की बात को पहले तोल,
फिर उसको तु मुख से बोल। 

छल-कपट को मन से छोड़,
सबसे मीठी वाणी  बोल। 

दुनियां को क्यों देता दोष,
जो कहना है प्रभु से बोल। 

जो बिछुड़ा वो फिर ना मिला
फिर भी कहते दुनिया गोल। 

झंझट तुम क्यों लेता मोल,
सब की हाँ में, हाँ तू बोल। 

लोग प्रसंशा सुननी चाहते,
तू भी सबको वैसा ही बोल।