किसी की नजरो से गिरने में वक्त नहीं लगता,
मगर किसी के दिल में बस कर दिखाओ तो जाने।
किसी से प्यार के वादे करने में वक्त नहीं लगता,
मगर वादा कर के उसे निभाओ तो जाने।
अपने मतलब से तो सभी गले मिलते हैं,
मगर किसी को बिना स्वार्थ गले लगाओ तो जाने।
सुख में तो सभी साथी साथ निभाते हैं,
मगर दुःख में साथ निभा कर दिखाओ तो जाने।
हँसते बच्चे को तो सभी गोद उठाते है,
मगर किसी रोते हुए बच्चे को गोद उठाओ तो जाने।
तुम हिन्दू-मुस्लमान कुछ भी बनो
मगर पहले इन्शान बन कर दिखाओ तो जाने।
मगर पहले इन्शान बन कर दिखाओ तो जाने।
[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
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