एक सी तो माटी
एक सी बैवे पून
एक सो तपै तावड़ो
मूळ मांई बैवे एक सो पाणी
फेर ए न्यारा-न्यारा स्वाद
कठै स्यूं निपज्या
कियां हुयो ओ अचरज ?
दाड़मा"र मौसमी
आम "र अंगूर
काकड़ी"र मतीरा
न्यारा-न्यारा रूप"र सुवाद
मिनख र समझ
माईं नीं आवै ओ खेल
सारो कुदरत रो खेल
कठै कांई निपजा देवै
समझ एकलो सिरजनहार
सिरजनहार री खिमता
कुण समझ सक्यो
अर कुण समझ पावैळो।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
एक सी बैवे पून
एक सो तपै तावड़ो
मूळ मांई बैवे एक सो पाणी
फेर ए न्यारा-न्यारा स्वाद
कठै स्यूं निपज्या
कियां हुयो ओ अचरज ?
दाड़मा"र मौसमी
आम "र अंगूर
काकड़ी"र मतीरा
न्यारा-न्यारा रूप"र सुवाद
मिनख र समझ
माईं नीं आवै ओ खेल
सारो कुदरत रो खेल
कठै कांई निपजा देवै
समझ एकलो सिरजनहार
सिरजनहार री खिमता
कुण समझ सक्यो
अर कुण समझ पावैळो।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
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