Sunday, October 6, 2013

सबको अच्छा लगता चाँद



बच्चों का यह चन्दा मामा
नील  गगन से निचे आता
लोरी गाकर  उन्हें सुलाता
तारों  के संग  रहता  चाँद
 सबको अच्छा लगता चाँद 

अमीर-गरीब का भेद नहीं
छुआ- छुत  की  बात नहीं
एक नजर और एक भाव से
सब के घर  में जाता चाँद
सबको अच्छा लगता चाँद

रोज चांदनी के संग आता
अंधियारे में राह दिखाता
  लेकर बारात सितारों की  
   पूनम को पूरा दीखता चाँद  
सबको अच्छा लगता चाँद

ईद मनाओ या करवा चौथ
करे  चाँद  का  दर्शन लोग
गीता कुरान  का भेद नहीं
सब के मन को भाता चाँद
  सब को अच्छा लगता चाँद।




[ यह कविता  "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]


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