बच्चों का यह चन्दा मामा
नील गगन से निचे आता
लोरी गाकर उन्हें सुलाता
तारों के संग रहता चाँद
सबको अच्छा लगता चाँद
अमीर-गरीब का भेद नहीं
छुआ- छुत की बात नहीं
एक नजर और एक भाव से
सब के घर में जाता चाँद
सबको अच्छा लगता चाँद
रोज चांदनी के संग आता
अंधियारे में राह दिखाता
लेकर बारात सितारों की
पूनम को पूरा दीखता चाँद
सबको अच्छा लगता चाँद
ईद मनाओ या करवा चौथ
करे चाँद का दर्शन लोग
गीता कुरान का भेद नहीं
सब के मन को भाता चाँद
सब को अच्छा लगता चाँद।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
सब के मन को भाता चाँद
सब को अच्छा लगता चाँद।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
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