बाजरे के खेत
काकड़ी की खुशबू
मतीरे की मिठास
गाँव की यादें
पायल की रुनझुन
मोर क़ा नाच
चिड़ी क़ा स्नान
गाँव की यादें
बाजरे कि रोटी
सांगरी का साग
खेजड़ी की छांव
गाँव की यादें
साँझ क़ा ढलना
गायों क़ा रम्भाना
धूल का उड़ना
गाँव की यादें
खेतो में कजरी
तीज पर घूमर
होली पर डांडिया
गाँव की यादें
बाड़ पर बेलें
पेड़ पर झूले
फागुन के मेले
गाँव की यादें
बरसती बदरिया
चमकती बिजुरियां
भीगती गौरियां
गाँव की यादें।
पेड़ पर झूले
फागुन के मेले
गाँव की यादें
बरसती बदरिया
चमकती बिजुरियां
भीगती गौरियां
गाँव की यादें।
कोलकता
१५ फ़रवरी, २०११
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )