Tuesday, February 15, 2011

गाँव की यादें


बाजरे   के   खेत
काकड़ी की खुशबू
मतीरे की मिठास
गाँव    की   यादें

पायल की रुनझुन
मोर    क़ा    नाच
 चिड़ी   क़ा  स्नान
 गाँव    की   यादें

बाजरे   कि रोटी
 सांगरी  का साग
खेजड़ी की छांव
 गाँव  की   यादें

साँझ  क़ा ढलना   
  गायों क़ा रम्भाना  
धूल  का  उड़ना  
गाँव  की  यादें 

खेतो  में कजरी   
तीज  पर घूमर  
होली पर डांडिया
गाँव  की  यादें

बाड़   पर  बेलें
पेड़  पर   झूले
फागुन के मेले
   गाँव  की  यादें

बरसती बदरिया
चमकती बिजुरियां
भीगती गौरियां
गाँव  की   यादें।



कोलकता
१५ फ़रवरी, २०११
(यह कविता  "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )