मैंने समाचार पत्र में
एक कविता भेजी
सधन्यवाद के साथ -
संपादक महोदय ने लिखा-
आप की कविता प्रकाशन
योग्य नहीं।
भेजना हो तो चटपटा
समाचार लिख कर भेजें।
सनसनी खोज खबर भेजें
जो सुबह चाय के साथ
गरम मसाले का काम करे।
आज कल कविताएं पढ़ता कौन है?
आप लिखेंगे देश प्रेम पर
देश की ख़ुशहाली पर
वीर रस, भक्ति रस या
श्रृंगार रस पर।
इन सबसे समाचार नहीं बनते।
छपने के लिए सनसनी फैलाएं।
मसलन
पेड़ पर लटकता शव
टुकड़ों में कटी लाश
बम धमाके से मरा व्यक्ति
ऐसी घंटनाएं ढूंढे
इन्हें सनसनीखेज बना
छपने के लिए भेजें।
बेटे ने की पिता की हत्या
दहेज़ के लिए बहू की हत्या
नाबालिका की रेप के बाद हत्या
ऐसी घटनाएं खोजें
इन्हें दर्दनाक बना
छपने के लिए भेजें।
गायों की तस्करी
मादक पदार्थों की जब्ती
आतंकियों की गिरफ्तारी
ऐसी जासूसी खबरें खोजें
इन्हें रहस्यमय बना कर
छपने के लिए भेजें।
पूजा स्थलों में तोड़-फोड़
दो साम्प्रदायों में लड़ाई
विस्फोटक बरामद
ऐसी ख़बरों को खोजें
नमक मिर्च लगा कर
छपने के लिए भेजें।
समाचार बनाने वालों का
पीछा करते रहें
नहीं मिले तो उनकी तलाश करें
उन्हें उकसाएं
जैसे ही कोई खबर बने
छपने के लिए तत्काल भेजें।
कविता को अभी विराम दें
पहले थोड़ी नफरत बांट दें।