आज मौसम बहुत सुहाना है
हल्की-हल्की बारिश हो रही है
तुम्हें बारिश बहुत पसद थी
मुझे भी पसंद है
.
हाथ थाम तुम्हारा
संग-संग भीगना चाहता था
बारिश में
जिंदगी का हर पल
बिताना चाहता था
तुम्हारे संग में
बहुत कुछ
अनकहा रह गया
हमारे तुम्हारे बीच में
.
गीले तकियों से
बिस्तर की सिलवटों तक
महसूस करता हूँ तुम्हें
हर पल अपने आस-पास
.
मगर नहीं व्यक्त कर पाता
अपने मन के भावों को
मौलश्री के फूलों सी
झरती रहती हैं यादें।
हल्की-हल्की बारिश हो रही है
तुम्हें बारिश बहुत पसद थी
मुझे भी पसंद है
.
हाथ थाम तुम्हारा
संग-संग भीगना चाहता था
बारिश में
जिंदगी का हर पल
बिताना चाहता था
तुम्हारे संग में
बहुत कुछ
अनकहा रह गया
हमारे तुम्हारे बीच में
.
गीले तकियों से
बिस्तर की सिलवटों तक
महसूस करता हूँ तुम्हें
हर पल अपने आस-पास
.
मगर नहीं व्यक्त कर पाता
अपने मन के भावों को
मौलश्री के फूलों सी
झरती रहती हैं यादें।