Monday, July 29, 2024

पहचान

गांव में था 
पहचान थी 
सदा नाम से 
जाना जाता मैं 

गांव से निकला 
बह गया धारा में 
धारा से नदी 
नदी से समद्र 
समा गया मैं 

अफ़सोस 
अब महानगर में हूँ 
यहाँ होकर भी 
नहीं हूँ मैं 

अब नाम से नहीं 
मकान नम्बर से 
जाना जाता हूँ मैं 

वापिस 
कैसे जाऊँ वहाँ 
जहॉं पैदा हुआ मैं। 



Tuesday, July 23, 2024

घर के दरवाजे

गांव में बापू के  
घर के दरवाजे सदा 
खुले रहते थे 
सबके लिए 

घर आए मेहमानों 
और राहगीरों के लिए 
जिन्होनें कभी कुछ 
नहीं माँगा जीवन से 
उन गरीबों के लिए 

अजनबी दोस्तों 
और अजनबी 
भाइयों के लिए 

कहते थे 
भाई हैं हम सब 
रखते थे बड़ा दिल 
सब के लिए 

लेकिन कोई 
अपने घमंड में चूर 
प्रहार करता है 
हमारे गढ़ के दरवाजे पर 
कब्ज़ा करने के लिए 

लेकिब ख़्याल रहे 
जल्द ही वह दिन आएगा 
जब वह पछ्ताएगा 
यह धूर्ततापूर्ण विनाश 
घातक है 
अपराध है
दंड का विधान है 
सबके लिए। 

Saturday, July 20, 2024

समय सोने का नहीं है

स्वर्ग से उतर 
धरती पर आने वालो
धर्म का चोगा पहन
सहिशुण्ता का पाठ 
पढ़ने वालो 
कब तक 
अपनी जंजीरों से बँधे 
बंधुवा मजदूरों की तरह 
धरती को स्वर्ग 
बनाने का ख़्वाब 
देखते रहोगे 
उठो, जागो, दहाड़ो 
कब होगा तुम्हारा घर 
बल्कि तुम्हारा वतन ?



Wednesday, July 17, 2024

जीवन यात्रा

इस धरा को 
बोया गया है 
मौत के बीज से 
लेकिन मौत 
अंत नहीं है 
मौत का 

यह तो केवल 
एक रास्ता है 
अदृश्य विमान में 
सवार होकर 
अंतरिक्ष तक 
उठ जाने का 

नई खुशियों 
और वरदानों संग 
फिर से लौट आने का।