Saturday, October 25, 2025

निर्लिप्तता का ही ज्ञान दे रहा हूँ।

मैंने अब जीवन के सिद्धांतों से
समझौता करना सिख लिया है,
अच्छे और बुरे के बीच में अब
संतुलन रखना  सीख लिया है। 

अब हवन करने से हाथ जलते हैं,
भलाई करनेपर ठोकर मिलती है, 
किसी को भी उधार देकर देखलो,
माँगने पर दुश्मनी ही मिलती है। 

रोज़ अपहरण की घटनाऐं होती है,
गुंडागर्दी  और छुरेबाज़ी  होती है,
अबलाओं का शील हरण होता है,
सुपारी लेकर हत्याएँ की जाती हैं।

ये सब अखबार में रोज़ पढ़ता हूँ,
चाय की चुस्की संग निगलता हूँ,
मन के आक्रोश को पी जाता हूँ,
मौन रह, जख्मों को सी जाता हूँ।

जुल्म के आगे सिर झुका रहा हूँ,
यही ज्ञान बच्चों को भी दे रहा हूँ, 
भलाई का जमाना अब नहीं रहा,
निर्लिप्तता का ही ज्ञान दे रहा हूँ। 

Wednesday, October 15, 2025

विश्व गुरु कहलायेगा

क्या रसखान सूर तुलसी 
का जमाना फिर आयेगा, 
क्या भय से पथराया जग 
फिर से प्रेम गीत गायेगा ?

क्या नफरत के समाज में 
फिर से भाईचारा आयेगा,
ढाई आखर प्रेम का बोल 
फिर से समाज में गूँजेगा। 

क्या मीरा का भक्ति-प्रेम 
तुलसी की चौपाई राजेगी,
हिंसा-घृणा की दीवार टूट 
जीवन की गरिमा गाजेगी। 

क्या सत्य अहिंसा का पथ
फिर से जीवन राह बनेगा,
मेरा प्यारा भारत फिर से
विश्व गुरु कहलायेगा। 🌼