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आभारी हूँ मैं तुम सबका, जो इतना प्यार दिया
अपना समझ कर हमें,जो इतना सम्मान दिया
तुम्हारे प्यार को साथ लिए जा रहे हैं
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
ये खुशियाँ जो तुम लोगो ने दी, बहुत याद आयेंगी
ये क्षण जो सब के साथ बिताए हर पल याद आयेंगे
हम सुखद स्मृतियों के संग जा रहे हैं
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
परिवार से दूर रह कर भी, परिवार की तरह रहना
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
परिवार से दूर रह कर भी, परिवार की तरह रहना
एक दूसरे के सुख-दुःख में सदा साथ-साथ रहना
हम सबकी मधुर यादें लिए जा रहे हैं
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
जिन्दगी के सफर में, किसी मोड़ पर मिलेंगे
इन रिश्तों और लम्हों को फिर से ताजा करेंगे
इन्हीं आशाओं के साथ हम जा रहे हैं
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
इन्हीं आशाओं के साथ हम जा रहे हैं
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
चकाचोंध ओ डॉलर की खनक में मत फँसना
फ़िर से अपने वतन लौट कर तुम सब आना
हम तुम्हें घर लौटने की कसम दे रहे हैं
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
हिम्मत वालों की हार नही होती,यह याद रखना
सफलता तुम्हारे कदम चूमे, इतने महान बनना
सब की की मंगल कामना कर रहे हैं
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
आज हम अपने वतन को जा रहे हैं।
सैन डिएगो (अमेरिका)
१९ जनवरी, २००९
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )