कभी भी चली आती है, उसकी यादें
वापिस जाती नहीं, मैं कैसे सो जाऊं।
सितारे रात भर जगते, मेरा साथ देने
वो जागते रहते हैं, मैं कैसे सो जाऊं।
मेरी पलकों में छाई, यादों की बदली
छलकती है यादें, मैं कैसे सो जाऊं।
बहुत याद आते हैं, साथ बिताऐ लम्हें
आँखें राह देखती है, मैं कैसे सो जाऊं।
सपने में देखा, वह बदल रही है करवटे
उसे नींद नहीं आती, मैं कैसे सो जाऊं।
पचास वर्ष का, संग-सफर था हमारा
तन्हाई में याद आए, मैं कैसे सो जाऊं।
वापिस जाती नहीं, मैं कैसे सो जाऊं।
सितारे रात भर जगते, मेरा साथ देने
वो जागते रहते हैं, मैं कैसे सो जाऊं।
मेरी पलकों में छाई, यादों की बदली
छलकती है यादें, मैं कैसे सो जाऊं।
बहुत याद आते हैं, साथ बिताऐ लम्हें
आँखें राह देखती है, मैं कैसे सो जाऊं।
सपने में देखा, वह बदल रही है करवटे
उसे नींद नहीं आती, मैं कैसे सो जाऊं।
पचास वर्ष का, संग-सफर था हमारा
तन्हाई में याद आए, मैं कैसे सो जाऊं।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )