Thursday, July 25, 2019

मेरा प्रेम-पत्र

मैं चाहता हूँ तुम्हें
एक बार फिर से लिखूँ 
खुशबु और प्यार भरा
एक प्रेम-पत्र

तुम गली के मोड़ पर
फिर से खड़ी हो कर 
करो इन्तजार डाकिये का
लेने मेरा प्रेम-पत्र

बंद कर दरवाजा
फिर पढ़ो चुपके-चुपके
मेरा प्रेम-पत्र

तकिये पर सिर रख
चौंको किसी आहट पर
पढ़ते हए मेरा प्रेम-पत्र

पसीने से तर-बतर
झूमते तन-मन से
बार-बार पढ़ो 
तुम मेरा प्रेम-पत्र

मेरे प्यार का
तुम्हें एक बार फिर से
अहसास दिलाएगा
मेरा यह प्रेम-पत्र।



( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। ) 

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