मैं चाहता हूँ तुम्हें
एक बार फिर से लिखूँ
खुशबु और प्यार भरा
एक प्रेम-पत्र
तुम गली के मोड़ पर
फिर से खड़ी हो कर
करो इन्तजार डाकिये का
लेने मेरा प्रेम-पत्र
बंद कर दरवाजा
फिर पढ़ो चुपके-चुपके
मेरा प्रेम-पत्र
तकिये पर सिर रख
चौंको किसी आहट पर
पढ़ते हए मेरा प्रेम-पत्र
पसीने से तर-बतर
झूमते तन-मन से
बार-बार पढ़ो
एक बार फिर से लिखूँ
खुशबु और प्यार भरा
एक प्रेम-पत्र
तुम गली के मोड़ पर
फिर से खड़ी हो कर
करो इन्तजार डाकिये का
लेने मेरा प्रेम-पत्र
बंद कर दरवाजा
फिर पढ़ो चुपके-चुपके
मेरा प्रेम-पत्र
तकिये पर सिर रख
चौंको किसी आहट पर
पढ़ते हए मेरा प्रेम-पत्र
पसीने से तर-बतर
झूमते तन-मन से
बार-बार पढ़ो
तुम मेरा प्रेम-पत्र
मेरे प्यार का
तुम्हें एक बार फिर से
अहसास दिलाएगा
मेरा यह प्रेम-पत्र।
मेरे प्यार का
तुम्हें एक बार फिर से
अहसास दिलाएगा
मेरा यह प्रेम-पत्र।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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