Saturday, November 30, 2024

बसंत का गीत

मैंने आज धीरे से कहा 
बसंत अब आ जाओ 
और यह सुनते ही ---
रात रागिनी मुस्कुराने लगी 
कलियाँ खिलखिलाने लगी 
गेहूं की बालियां झूमने लगी 
हरियाली चहुँ ओर छाने लगी 
आम्र मंजरियाँ फूटने लगी 
कोयल कुहू कुहू करने लगी 
मंद सुगंध समीर बहने लगी 
अलि प्रीत का राग गाने लगी 
बागों में तितलियाँ उड़ने लगी 
मैं प्रेम गीत गुनगुनाने लगी 
प्रीत सांवरिया से मिलने लगी। 

    

                                                  भागीरथ कांकाणी 
INDIA GLAZES LTD.
4th Floor, Suit No. 3 and 4
6, Lyons Range (Gate No. 1 )
KOLKATA - 700 001 
Email : kankanibp@gmail.com 
Mobile : 98300 65061

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प्रभु प्रेमी भक्तजन,
जय श्री राम।  

आप के हाथों में  "श्री हनुमान गाथा" पुस्तक देख कर मैं बहुत ही आनंद का अनुभव कर रहा हूँ।  यह पुस्तक श्री हनुमान जी के जीवन पर एक शोधग्रन्थ के रूप में लिखी हुई है। पुस्तक पर देश के अनेकों साधु -संतो और महात्माओं का आशीर्वाद एवं शुभकामना सन्देश प्राप्त हुआ है, लेकिन पुस्तक के आकर को ध्यान में रखते हुए, चंद सन्देशों को ही इसमें स्थान दिया गया है। प्रथम संस्करण में केवल एक हजार पुस्तकों को छपाया गया है। सभी भक्तों को  यह पुस्तक अपनी लागत मुल्य से भी कम पर मात्र 100 /- रुपयों में उपलब्ध होगी।  

श्री हनुमान भक्त अपने किसी भी धार्मिक कार्यक्रम पर, जन्मोत्सव पर, शादी की वर्षगांठ पर, विवाह के शुभ अवसर पर या किसी भी मांगलिक कार्यक्रम पर इस पुस्तक को बाँटना चाहे तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं। पुस्तक में प्रकाशक के स्थान पर अपना नाम, सन्देश और चित्र के साथ (दो पेज में ) छपवा सकते हैं। अब कम्पोजिंग एवं चित्र बनाने का खर्च नहीं लगेगा। बहुत कम खर्च में पुस्तक छप जाएगी। धन्यवाद। 

                                                                                                                                             आपका स्नेही 
                                                                                                                                       भागीरथ कांकाणी 

पुनश्च : अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु पुस्तक के कुछ अध्यायों का नित्य पाठ करें एवं पुस्तक में लिखे मन्त्रों में से अपनी पसंद के मन्त्र का जाप करें। पुस्तक की प्रतियों को भक्तों में बाँट कर हनुमान जी की कृपा का अनुभव करें। 


Wednesday, November 20, 2024

नेताजी और चुनाव

सभाओं  में दिखाते सब्जबाग वोट करने 
बन जाते शहंशाह चुनाव जितने के बाद। 

टोलियों में निकलते इन्कलाब  को लाने          
बन जाते बाहुबली चुनाव जितने के बाद। 

सेमिनार में झूठे वादे करते चुनाव जितने 
बन जाते घोटाले बाज चुनाव जितने बाद। 

मुफ्त की रेवड़ियां बांटते चुनाव को जितने 
अपनी तिजोरियां भरते चुनाव जितने बाद। 

मुखौटे लगा घरों में घूमते चुनाव को जितने 
जनता का शोषण करते चुनाव जितने बाद। 




Sunday, November 3, 2024

मेरा जीवन तन्हा रह गया

कितना मोहक था वो समय 
जो हमने साथ-साथ बिताया,
हाथों में हाथ डाल कर 
क़दमों से कदम मिलाया।  

सारी दुनिया को भूल कर 
हम खो जाते थे सपनों में,
प्यार सदा परवान चढ़ा 
एक दूजे की बाहों में। 

नशीली थी तुम्हारीआँखें 
देख कर पगला जाता मैं,
तुम्हारे कन्धों पर सिर रख
सुध - बुध भूल जाता मैं। 

कितना मदभरा था समय 
जब चांदनी रातें होती थी, 
मेरी गोदी में सिर रख 
तुम आँखें मूंद सो जाती थी। 

मस्त जीवन था हमारा 
आज सब सपना बन गया 
तुम बिछुड़ गई सर-ऐ-राह 
मेरा जीवन तन्हा रह गया।