Saturday, May 31, 2025

स्वर्गाश्रम

गोमुख 
गंगा का स्रोत 
पृथ्वी का स्वर्ग है 

गंगोत्री
पावन है, पवित्र है 
मुक्ति का स्वरूप है 

स्वर्गाश्रम 
साधु संतों की भूमि
ध्यान, भक्ति का स्थल है 

गंगा का तट 
हिमालय की गोद 
यहाँ दिव्य कम्पन है 

गंगा में 
बहने वाले पत्थर 
यहाँ कविता सुनाता है 

इस दिब्य 
अनूठे स्वरुप को 
जो हृदयस्थ कर लेता है 

उसकी हर सांस से 
एक ही ध्वनि-प्रतिध्वनि
निकलती है 

जय गंगा मैया 
तेरी सदा जय हो
जय हो। 

Wednesday, May 28, 2025

अब जाना चाहता हूँ

मैं अब 
सयानों की तरह 
चुप रहना चाहता हूँ। 

जीवन की 
धीरे-धीरे बुझती 
लो को देखना चाहता हूँ। 

अकेले 
आगे की यात्रा की 
तैयारी करना चाहता हूँ। 

सुख-दुःख
धैर्य और लालच सब 
साथ ले जाना चाहता हूँ। 

पतझड़ में 
झड़ते पत्तों की तरह 
उड़ जाना चाहता हूँ। 

शरीर छोड़ 
आत्मा के संग 
चले जाना चाहता हूँ। 

अनन्त में 
जहां झिलमिलते हैं तारे
वहाँ जाना चाहता हूँ।